रसखान के सवैये अर्थ सहित


कृष्णभक्त कवि रसखान | kavyakala
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कुछ और लोगों के मतानुसार यह पिहानी उत्तरप्रदेश के हरदोई ज़िले में है। मृत्यु के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई। यह भी पढ़ा कि रसखान ने भागवत का अनुवाद फारसी में किया। पाठकों की सेवा में रसखान के कुछ सवैये अर्थसहित ...

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कुछ और लोगों के मतानुसार यह पिहानी उत्तरप्रदेश के हरदोई ज़िले में है। मृत्यु के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई। यह भी पढ़ा कि रसखान ने भागवत का अनुवाद फारसी में किया। पाठकों की सेवा में रसखान के कुछ सवैये अर्थसहित ...

सवैये - पठन सामग्री तथा भावार्थ NCERT Class ...
www.studyrankers.com › class9hindi
पठन सामग्री, अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर और भावार्थ - सवैये भाग - 1 NCERT Class 9th Hindi. ...अर्थ - इन पंक्तियों द्वारा रसखान ने अपने आराध्य श्रीकृष्ण की जन्मभूमि के प्रति लगाव को प्रदर्शित किया है। वे कहते हैं की अगर अगले जन्म में उन्हें मनुष्य ...

दोहे | रसखान के दोहे | Dohe by Raskhan - Like
www.bharatdarshan.co.nz/.../65/dohe-raskhan.html
रचनाकार: रसखान | Raskhan. प्रेम प्रेम सब कोउ कहत, प्रेम न जानत कोइ। जो जन जानै प्रेम तो, मरै जगत क्यों रोइ॥ कमल तंतु सो छीन अरु, कठिन खड़ग की धार। अति सूधो टढ़ौ बहुरि, प्रेमपंथ अनिवार॥ बिन गुन जोबन रूप धन, बिन स्वारथ हित जानि। सुद्ध कामना ते रहित, ...

Raskhan Ke Krishna by Manisha Kulshreshtha
hindinest.com/bhaktikal/02310.htm
रसखान के कृष्ण. मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं गोकुल गाँव के ग्वालन। जो पसु हौं तो कहा बसु मेरो चरौं नित नन्द की धेनु मंझारन। पाहन हौं तो वही गिरि को जो धरयौ कर छत्र पुरन्दर धारन। जो खग हौं बसेरो करौं मिल कालिन्दी-कूल-कदम्ब की डारन।

रसखान के फाग सवैय्ये | Raskhan Savaiye
www.bharatdarshan.co.nz/.../savaiye-faag-raskhan.ht...
रसखान के फाग सवैय्ये. मिली खेलत फाग बढयो अनुराग सुराग सनी सुख की रमकै। कर कुंकुम लै करि कंजमुखि प्रिय के दृग लावन को धमकैं।। रसखानि गुलाल की धुंधर में ब्रजबालन की दुति यौं दमकै। मनौ सावन सांझ ललाई के मांझ चहुं दिस तें चपला चमकै।। #.

रसखान - कविता कोश
kavitakosh.org/kk/रसखान
रसखान - कविता कोश भारतीय काव्य का विशालतम और अव्यवसायिक संकलन है जिसमें हिन्दी उर्दू, भोजपुरी, अवधी, राजस्थानी आदि पचास से अधिक भाषाओं का काव्य है। ... भक्तिकाल की कृष्णाश्रयी शाखा के महत्त्वपूर्ण कवि। वृंदावन में ...

सोहत है चँदवा - रसखान के पद | हिन्दीकुंज,Hindi ...
www.hindikunj.com › रसखान
सोहत है चँदवा सिर मोर को, तैसिय सुन्दर पाग कसी है। तैसिय गोरज भाल बिराजत, तैसी हिये बनमाल लसी है। 'रसखानि' बिलोकत बौरी भई, दृग मूंदि कै ग्वालि पुकार हँसी है। खोलि री घूंघट, खौलौं कहा, वह मूरति नैनन मांझ बसी है। Share to: ...

रसखान
www.ignca.nic.in/coilnet/raskhn.htm
हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने अपनी पुस्तक में रसखान के दो नाम लिखे हैं:-- सैय्यद इब्राहिम और सुजानरसखान। जबकि सुजान रसखान ... लीला का सामान्य अर्थ खेल है। कृष्ण- लीला से ... रसखान ने कृष्ण के बाल- लीला संबंधी कुछ पदों की रचना की है, किंतु उनके पद कृष्ण के भक्त जनों के कंठहार बने हुए हैं। अधिकतर कृष्ण ...

रसखान का कला-पक्ष - Brajdiscovery
hi.brajdiscovery.org/index.php?title=रसखान_का...
मुक्तक- जिसके पद्य (अपने अर्थ में) अन्य किसी पद्य की आकांक्षा से मुक्त अथवा स्वतंत्र हुआ करते हैं,; युग्मक- जिसमें दो पद्यों की रचना पर्याप्त मानी जाया .... रसखान ने भक्तिकाल की गेय-पद परंपरा से हटकर सवैया, कवित्त और दोहों को ही अपनी रचना के उपयुक्त समझकर अपनाया। .... सांगरूपक- जहां उपमेय में उपमान का अंगों के सहित आरोप हो वहां सांगरूपक होता है।

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