सूरदास के दोहे


सूरदास के दोहे: Surdas ke Dohe in Hindi without meaning
jack.jagranjunction.com/.../surdas-ke-dohe-in-hindi-w...
अंखियां हरि-दरसन की प्यासी। देख्यौ चाहति कमलनैन कौ¸ निसि-दिन रहति उदासी।। आए ऊधै फिरि गए आंगन¸ डारि गए गर फांसी। केसरि तिलक मोतिन की माला¸ वृन्दावन के बासी।। काहू के मन को कोउ न जानत¸ लोगन के मन हांसी। सूरदास प्रभु तुम्हरे ...

सूरदास Ke पैड - यूट्यूब
https://www.youtube.com/watch?v=YHjDWMVx-D4
सूरदास Ke पैड एसएसएलसी या कर्नाटक के 10 वें छात्रों के लिए निर्धारित किया गया है,भारत .. ... कबीर Ke Dohe Ek दाल Do पंछी पुन बैठा करके कुमार विशु - Udd Jaहंस अकेला ...

सूरदास के दोहे | Tumblr
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Surdas ke Dohe in Hindi with meaning. अंखियां हरि-दरसन की प्यासी। देख्यौ चाहति कमलनैन कौ¸ निसि-दिन रहति उदासी।। आए ऊधै फिरि गए आंगन¸ डारि गए गर फांसी। केसरि तिलक मोतिन की माला¸ वृन्दावन के बासी।। काहू के मन को कोउ न जानत¸ लोगन के मन हांसी।

सूरदास - कविता कोश
kavitakosh.org/kk/सूरदास
सूरदास - कविता कोश भारतीय काव्य का विशालतम और अव्यवसायिक संकलन है जिसमें हिन्दी उर्दू, भोजपुरी, अवधी, राजस्थानी आदि पचास से अधिक भाषाओं का काव्य ... यदि आप इस पन्ने के लिये ऐसा पता चाहते हैं तो kavitakosh AT gmail DOT com पर सम्पर्क करें।

सूर के पद - सूरदास के पदों का संकलन | Sur Ke Pad
www.bharatdarshan.co.nz/magazine/.../sur-ke-pad.htm...
सूरदास के पद - इस पृष्ठ के अंतर्गत सूर के पदों का संकलन यहाँ उपलब्ध करवाया जा रहा है। कृष्ण भक्त कवि सूरदास को वात्सल्य सम्राठ कहा जाता है। भक्त सूरदास ने श्रीकृष्ण की बाल लीला का अद्भुत ह्रदय-स्पर्शी वर्णन किया है। Surdas ke Pad - A collection of ...

सूर के पद - Wikisource
https://wikisource.org/wiki/सूर_के_पद
प्रस्तुत हैं कृष्ण भक्त कवि सूरदास जी द्वारा श्रीकृष्ण की बाल लीला का अद्भुत वर्णन। | The post of poet Surdas, Surdas post, Surdas Jayanti, Krishna devotees, Krishna, Child's play. सब प्रकार से वह अगम्य है अतः सूरदास सगुण ब्रह्म श्रीकृष्ण की लीलां का ही गायन करना ठीक समझते हैं। ... भाव संसार-सागर में माया अगाध जल है लोभ की लहरें हैं काम वासना का मगर है इन्द्रियां मछलियां हैं और इस जीवन के सिर पर पापों की ...

सूरदास - विकिपीडिया
https://hi.wikipedia.org/wiki/सूरदास
[संपादित करें]. सूरदास की जन्मतिथि एवं जन्मस्थान के विषय में विद्वानों में मतभेद है। "साहित्य लहरी' सूर की लिखी रचना मानी जाती है। इसमें साहित्य लहरी के रचना-काल के सम्बन्ध में ...

सम्यक भाषा Samyak Bhasha: सूरदास के दोहे
samyakbhasha.blogspot.com/.../सूरदास%20के%20...
सूरदास के दोहे. अंखियां हरि-दरसन की प्यासी। देख्यौ चाहति कमलनैन कौ¸ निसि-दिन रहति उदासी।। आए ऊधै फिरि गए आंगन¸ डारि गए गर फांसी। केसरि तिलक मोतिन की माला¸ वृन्दावन के बासी।। काहू के मन को कोउ न जानत¸ लोगन के मन हांसी।

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