मीराबाई के दोहे


मीरा के पद/ दोहे हिंदी अर्थ सहित जयंती एवम ...
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Meera Bai Ke Pad Dohe Meaning In Hindi मीराबाई के पद दोहे हिंदी अर्थ सहित पढ़े | मीरा बाई की भक्ति की गाथा से भारत का इतिहास सुशोभित हैं |

मीरा बाई के पद - Wikisource
https://wikisource.org/wiki/मीरा_बाई_के_पद
राग अलैया तोसों लाग्यो नेह रे प्यारे नागर नंदकुमार। मुरली तेरी मन हरह्ह्यौ बिसरह्ह्यौ घर ब्यौहार।। जबतैं श्रवननि धुनि परी घर अंगणा न सुहाय। पारधि ज्यूं चूकै नहीं म्रिगी बेधि द आय।। पानी पीर न जान ज्यों मीन तडफ मरि जाय।

मीराबाई के पद - अनुभूति
www.anubhuti-hindi.org/.../meerabai/baso.htm
अनुभूति में मीराबाई की रचनाएँ-. बसौ मोरे नैनन में नंदलाल नहिं ऐसो जनम बारंबार भज मन चरण-कंवल अबिनासी मेरे तो गिरिधर गोपाल या ब्रज में कछु देख्यो री टोना संकलन में- प्रेमगीत- हे री मैं तो. पांच पद. एक. बसौ मोरे नैनन में नंदलाल। मोहनि मूरति ...

मीराबाई - कविता कोश
kavitakosh.org/kk/मीराबाई
मीराबाई की अधिकांश रचनाएँ उनके कृष्ण प्रेम से ओत-प्रोत हैं। इनका विवाह उदयपुर के महाराणा कुमार भोजराज जी के साथ हुआ था। ये बचपन से ही कृष्णभक्ति में रुचि लेने लगी थीं। विवाह के थोड़े ही दिन बाद आपके पति का देहांत हो गया था।

मीरा के दोहे | Shiromani News Paper
www.shiromaninews.com/category/मीरा-के-दोहे/
बसौ मोरे नैनन में नंदलाल। मोहनि मूरति, सांवरी सूरति, नैना बने बिसाल। मोर मुकुट, मकराकृत कंुडल, अस्र्ण तिलक दिये भाल। अधर सुधारस मुरली राजति, उर बैजंती माल। छुद्र घंटिका कटि तट सोभित, नूपुर सबद […] ...

दोहे | Dohe | Hindi Couplets
www.bharatdarshan.co.nz/literature.../2/79/dohe.html
कबीर, रहीम, बिहारी, उदयभानु हंस के दोहे। दोहा एक मात्रिक छंद है, जिसमें चार पद होते हैं। Hindi Dohe (Couplets)by Kabir, Rahim, Bihari and Udaybhanu Hans.

मीरा के पद | Meera Ke Pad
www.bharatdarshan.co.nz/.../10/meera-ke-pad.html
रचनाकार: मीराबाई | Meerabai. दरद न जाण्यां कोय. हेरी म्हां दरदे दिवाणी म्हारां दरद न जाण्यां कोय। घायल री गत घाइल जाण्यां, हिवडो अगण संजोय। जौहर की गत जौहरी जाणै, क्या जाण्यां जिण खोय। दरद की मार्यां दर दर डोल्यां बैद मिल्या नहिं कोय।

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मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई।। जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई। तात मात भ्रात बंधु आपनो न कोई।। छांडि दई कुलकी कानि कहा करिहै कोई। संतन ढिग बैठि बैठि लोकलाज खोई।। चुनरी के किये टूक ओढ़ लीन्ही लोई। मोती मूंगे उतार बनमाला ...

मीरा बाई - विकिपीडिया
https://hi.wikipedia.org/wiki/मीरा_बाई
मीरा बाई (१५०४-१५५८) कृष्ण-भक्ति शाखा की प्रमुख कवयित्री हैं। उनकी कविताओं में स्त्री पराधीनताके प्रती एक गहरी टीस है, जो भक्ति के रंग में रंग कर और गहरी हो गयी है। मीरा बाई ने कृष्ण-भक्ति केस्फुट पदों की रचना की है।

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